*!!🌹पाकिस्तान के परमाणु बम पाकिस्तान के नहीं थे🌹!!*
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पाकिस्तान के परमाणु बम पाकिस्तान के नहीं थे वह सब के सब अमेरिका के थे जिसे उसने पाकिस्तान में बेस बनाकर रखा हुआ था *सिंदूर आपरेशन* और इस सैन्य संघर्ष ने वह सारे रहस्य और भेद उजागर कर दिए हैं जो पहले चारदीवारी तक सीमित थे कई झूठ और भ्रांतियों की भी पोल खोली गई है जिसके बारे में फर्जी इतिहास बताया जाता हैं!
*अमरीका* पाकिस्तान को अपने परमाणु ठिकाने बने रहने देना चाहता है पाकिस्तान परमाणु शक्ति नहीं है अपितु अमरीका द्वारा स्थापित परमाणु ठिकाने हैं वहा बिल्कुल उसी प्रकार जैसे *तुर्की में अमरीका के परमाणु* ठिकाने हैं रूस के विरुद्ध पाकिस्तान की परमाणु धमकी पिछले 2 बार से गीदड़ भभकी इसी लिए साबित हुई क्योंकि पाकिस्तान स्थित परमाणु केंद्रों का कंट्रोल और रिमोट *अमरीका* के हाथ है जिस प्रकार रूस को काउंटर करने के लिए तुर्की में परमाणु ठिकाना स्थापित किया था अमरीका ने उसी प्रकार एशिया में अपने शत्रुओं को काउंटर करने के लिए पाकिस्तान में परमाणु ठिकाने स्थापित किए थे अमरीका ने जब ये ठिकाने स्थापित किए गए थे उन दिनों यहां से दक्षिण सोवियत यूनियन और भारत को काउंटर करने की सोच रही इसके पीछे!
अब जब अमरीका को अपने द्वारा स्थापित पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर *भारतीय की ओर से खतरा* जैसे ही नजर आया… तुरंत बिलबिला उठा अपने स्थापित किए रणनीतिक परमाणु ठिकाने बचाने हेतु अमेरिका यह सब दुनिया भर पावर बैलेंस के लिए करता था इसमें अमेरिकन डीप स्टेट के गहरे और दूरगामी हित निहित हैं जब तक पाकिस्तान में अमरीका के परमाणु ठिकाने बने हुए है,पाकिस्तान को अमरीकी *इमदाद (आर्थिक मदद)* मिलती रहेगी अतीत में भी पाकिस्तान को अमरीकी इमदाद इसी रणनीति के तहत मिलती आई है ये एक कोरी अफवाह है के F16 का प्रयोग अफगानिस्तान में आतंकियों के विरुद्ध करने के लिए है। बालाकोट एयरस्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर दोनों बार F 16 का प्रयोग यह बताने को काफी है के F16 विमान भारत के खिलाफ प्रयोग करने हेतु ही अमरीका ने उसे दिए थे यह कहानिया भी सिरे से झूठी और फर्जी हैं के इजरायल एक समय पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने तबाह करना चाहता है। इस फर्जी कहानियों की पोल खुलने के 2 तथ्य हैं :-
*1)*--- पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने नष्ट करने के लिए इजरायल को भारत की आवश्यकता क्यों पड़ेगी? यह काम तो वह अपनी जमीन से और अपने लड़ाकू विमानों से भी कर सकता था!
*2)*--- पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने नष्ट करने की कोई मंशा नहीं रही इजरायल की इसराइल जो आज भी अमरीका का बड़ा करिंदा है… 70- 80 के दशक में तो वह आज से बहुत बड़ा गुलाम हुआ करता था अमरीका का इजरायल भी अमरीका का *पालतू और पाकिस्तान भी अमरीका का पालतू* था… सो इजरायल अपने मालिक को क्यों निराश करता यह जानते हुए भी के पाकिस्तान में *परमाणु केन्द्र अमरीकन पॉलिसी* का हिस्सा हैं!
एक और कहानी भी झूठी है के पाकिस्तान वैज्ञानिक AQ खान ने परमाणु तकनीक चुराई अमरीका दूसरे देशों को खासकर एशियाई देशों को परमाणु हथियार दे रहा है इस प्रकार की सुर्खियों और बातों को पश्चिमी जगत की जनता और स्वयं अमरीकी जनता कभी बर्दाश्त नहीं करती इससे तत्कालीन अमरीकी प्रशासन पर सवालिया निशान लग जाते इस प्रकार के आरोपों से बचने हेतु एक बहुत सस्ती स्टोरी गढ़ दी गई के… एक पाकिस्तानी वैज्ञानिक ने west में स्थापित एक लैब से तकनीक चुरा ली और पाकिस्तान आकर अकेले परमाणु मिसाइल बना ली इस तथा कथित स्टोरी से अमरीका अपनी करतूत से बरी हो गया अमेरिका पर विश्वास करना मूर्खता है!
परमाणु मिसाइल चल जाती इस लिए अमरीका को बीच बचाव करना पड़ा” …यह दलील एक सिरे की बकवास लगती है!!
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*सुशील कुमार सरावगी जिंदल*
*(राष्ट्रीय अध्यक्ष) डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी*
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