यह एक लेख या प्रेस विज्ञप्ति है जिसमें बाबूजी सुशील कुमार सरावगी जिंदल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच, नई दिल्ली के उद्बोधन का विवरण है। उनके उद्बोधन में मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- *पाकिस्तान के साथ युद्ध की अनिवार्यता*: उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकवाद, हिंसा और आक्रमण के कारण युद्ध की अनिवार्यता को जन्म दिया है। भारत को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए प्रतिकार के अधिकार का प्रयोग करना चाहिए।
- *अहिंसा और प्रतिकार*: उन्होंने महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत की आलोचना की और कहा कि अहिंसा के बल पर सभी समस्याओं और विकृतियों का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने प्रतिकार की हिंसा को महत्व दिया और कहा कि यह आवश्यक है जब अहिंसा काम नहीं करती।
- *ऐतिहासिक उदाहरण*: उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के विध्वंस और भारत पर विदेशी आक्रमणों का उदाहरण दिया और कहा कि महात्मा बुद्ध के अहिंसा के सिद्धांत ने भारत को कमजोर बनाया।
- *अमेरिका की भूमिका*: उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका की भूमिका का उदाहरण दिया और कहा कि अमेरिका की प्रतिहिंसा ने ही युद्ध को समाप्त करने में भूमिका निभाई।
- *निष्कर्ष*: उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की युद्धक मानसिकता और आतंकी मानसिकता का इलाज प्रतिकार युद्ध है और पूरा देश नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है जो पाकिस्तान को उसकी हिंसक भाषा में सबक सिखाने के लिए समर्थन कर रहा है।
यह उद्बोधन होटल क्राउन प्लाजा रोहिणी दिल्ली में चर्चा के दौरान दिया गया था।
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